केरल का त्रिप्रायर मंदिर
नासिक का कालाराम मंदिर
महाराष्ट्र के नासिक के पंचवटी में स्थितकालाराम मंदिर से लोगों की काफी गहरी आस्था जुड़ी है। यहां पर भगवान श्रीराम की 2 फीट लंबी प्रतिमा है। बता दें कि यह प्रतिमा काले रंग की है। कहा जाता है कि वनवास के दौरान श्रीराम अपने भाई लक्ष्म और माता सीता के साथ पंचवटी में रुके थे। इस मंदिर का निर्माण सरदार रंगारू ओढेकर ने किया था। कहा जाता है कि सरदार रंगारू ओढेकर को सपना आया था कि गोदावरी नदीं में भगवान श्रीराम की एक काली मूर्ति है। फिर उन्होंने इस मूर्ति को निकलवार मंदिर में स्थापित की।
तेलंगाना का सीता रामचंद्रस्वामी मंदिर
तेलंगाना के भद्रादी कोठागुडेम के भद्राचलम में सीता रामचंद्रस्वामी मंदिर स्थित है। बताया जाता है कि यह वही मंदिर है, जहां श्रीराम ने माता सीता को वापस लाने के लिए गोदावरी नदी को पार किया था। बता दें कि इस मंदिर में भगवान राम का धनुष-बाण त्रिभंगा के रूप में स्थापित है।
मध्यप्रदेश का राम राजा मंदिर
मध्यप्रदेश के ओरछा में प्रभु श्रीराम का यह इकलौता ऐसा मंदिर हैं। जहां पर श्रीराम की पूजा राजा के तौर पर की जाती है। बता दें कि यहां पर हर दिन उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर देकर शस्त्र सलामी दी जाती है। इसे मध्यप्रदेश के राजा मधुकरशाह ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। वहीं कई आक्रमणकारियों द्वारा यह मंदिर ध्वस्त कर दिया गया था। जिसके बाद इसका फिर से निर्माण करवाया गया।
कनक भवन अयोध्या
श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में स्थित कनक भवन कुछ ही दूरी पर स्थित है। बता दें कि इस मंदिर को माता सीता की सास यानि की कैकेयी ने मुंह दिखाई में दिया था। सोने के आभूषणों और स्वर्ण सिहांसन होने के कारण इस मंदिर को कनक भवन कहा जाता है। यह मंदिर एक विशाल भवन की भांति बना है। कहा जाता है कि इस भवन का निर्माण देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा जी ने किया था।
रामास्वामी मंदिर
कर्नाटक के चिक्कमंगलुरु जिले में स्थित रामास्वामी मंदिर काफी अनोखा है। मान्यता के अनुसार, हिरामगलूर में परशुराम ने श्रीराम से अपनी शादी का दृश्य दिखाए जाने का अनुरोध किया था। इसी कारण कोंडंडा में रमास्वामी की मूर्तियां हिंदू विवाह समारोहों की परंपराओं के अनुसार स्थित हैं। यह इकलौता ऐसा मंदिर हैं, जहां पर भगवान राम और लक्ष्मण के दाहिनी ओर माता सीता खड़ी हैं।