चंडीगढ़. मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में मंत्रीमंडल ने आज कहा कि सिख गुरुद्वारा (संशोधन) एक्ट- 2023 पवित्र गुरबानी का मुफ़्त प्रसारण करने के लिए ‘वर्तमान समय के मसंदों’ के कंट्रोल से मुक्त करने के लिए रास्ता साफ करेगा।
यहाँ मंत्रीमंडल की मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री ने बताया कि मंत्रीमंडल ने आज ‘दा सिख गुरुद्वारा एक्ट-1925’ में संशोधन करने और इसमें धारा 125-ए शामिल करने की मंजूरी दे दी है जिससे श्री हरिमन्दिर साहिब से पवित्र गुरबानी का प्रसारण मुफ़्त करने को यकीनी बनाने की ज़िम्मेदारी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कंधों पर पड़ेगी। उन्होंने कहा कि इस संशोधन का मकसद यह यकीनी बनाना है कि बिना किसी अदायगी के समूची मानवता गुरबानी कीर्तन सुने और गुरबानी का लाइव प्रसारण देख सके। भगवंत मान ने कहा कि इस कदम से पवित्र गुरबानी का किसी भी ढंग से व्यावसायीकरण नहीं होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस एक्ट सिख गुरुद्वारा (संशोधन) एक्ट- 2023 के शीर्षक के अधीन होगा जो सरकारी गज़ट में प्रकाशित होने की तारीख़ से लागू होगा। उन्होंने कहा कि गुरबानी के मुफ़्त प्रसारण के लिए धारा-125 के बाद सिख गुरुद्वारा एक्ट-1925 में धारा-125-ए भी दर्ज की जायेगी। भगवंत मान ने कहा कि इस एक्ट में यह व्यवस्था होगी कि महान गुरू साहिबान की शिक्षाओं के प्रसार के लिए बोर्ड की ड्यूटी (शिरोमणि कमेटी) श्री हरिमन्दिर साहिब से पवित्र गुरबानी का लाइव प्रसारण (ऑडियों या ऑडियों के साथ-साथ वीडियो) सभी मीडिया घरानों, आऊटलेटज़, प्लेटफार्म, चैनलों आदि जो भी चाहता हो, को मुहैया करवाने के लिए होगी। इस एक्ट में यह व्यवस्था भी होगी कि प्रसारण के दौरान किसी भी कीमत पर विज्ञापन/ व्यावसायीकरण/बिगाड़ न हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक विनम्र और श्रद्धावान सिख के तौर पर वह दुनिया भर में गुरबानी के मुफ़्त प्रसारण के लिए ज़ोरदार ढंग के साथ आवाज़ बुलंद करेंगे। भगवंत मान ने हैरानी ज़ाहिर करते हुये कहा कि एक विशेष चैनल की तरफ से गुरबानी के प्रसारण पर कंट्रोल किये होने का विरोध करने से पंथ पर हमला कैसे कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रसारण के हक एक चैनल तक सीमित रखना पूरी तरह अन्यायपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस कदम का उद्देश्य सरकार के किसी विशेष चैनल या प्राईवेट तौर पर किसी व्यक्ति को देने का नहीं है बल्कि इसका मनोरथ दुनिया के कोने-कोने में गुरबानी का संदेश फैलाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार यह संशोधन करने के लिए समर्थ है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही फ़ैसला ले चुकी है कि यह एक्ट अंतर-राज्ज़ीय एक्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि शिरोमणि कमेटी के मामलों में लंबे समय से एक ही परिवार का दबदबा रहा है, जिस कारण सिख पंथ को अपूर्णीय नुकसान हुआ है। भगवंत मान ने कहा कि गंदा खेल खेलते हुए इस परिवार ने अपने चहेते चैनल को गुरबानी के प्रसारण का विशेष अधिकार देकर सिखों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने की कोशिश की है जबकि एक्ट में शब्द टैलिकास्ट या प्रसारण का कोई जिक्र नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि क्योंकि लोग श्री हरिमन्दिर साहिब से गुरबानी सुनना चाहते हैं, इसलिए उनको इस चैनल के लिए अदायगी करनी पड़ती है। हालाँकि, उन्होंने कहा कि इस चैनल का पैकेज अन्य चैनलों के साथ दिया गया है जो बहुत महँगा है और आम आदमी इसका बोझ नहीं सहन कर सकता। भगवंत मान ने अफ़सोस ज़ाहिर किया कि सिख गुरुद्वारा एक्ट-1925 के द्वारा बनाई गई शिरोमणि कमेटी को गुरबानी का प्रचार करने का जिम्मा सौंपा गया था, परन्तु इसने अपने एक परिवार की कथपुतली बन कर अपना फर्ज भुला दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 11 साल बीत चुके हैं और अभी तक राज्य में शिरोमणि कमेटी के मतदान नहीं हुये हैं। उन्होंने कहा कि कितनी हैरानी की बात है कि शिरोमणि कमेटी के कार्यकारी प्रधान, श्री अकाल तख़्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार को सिर्फ़ इसलिए हटा रहे हैं क्योंकि वह उस परिवार के रास्ते पर नहीं चल रहे। भगवंत मान ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह एक्ट पंथ पर कोई हमला नहीं है बल्कि यह पवित्र गुरबानी का विश्व भर में मुफ़्त प्रसारण यकीनी बनाने के लिए एक विनम्र सा प्रयास है।