चंडीगढ़ : आईफोन (iPhone) बनाने वाली दुनिया की मशहूर टेक कंपनी Apple पर भारतीय बाजार में अपने दबदबे का दुरुपयोग करने और अनुचित व्यावसायिक प्रथाओं में शामिल होने के आरोप लगे हैं। कंप्टीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) की जांच में यह बात सामने आई है कि इससे लाखों ऐप डेवलपर्स और उपभोक्ताओं को नुकसान हो रहा है। इस मामले में कंपनी पर हजारों करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है और उसके खिलाफ कड़े आदेश भी जारी किए जा सकते हैं। यह जांच 2021 में शुरू हुई थी और अब अपने अंतिम चरण में है। माना जा रहा है कि CCI ऐपल के खिलाफ उसी तरह की सख्त कार्रवाई कर सकती है जैसी उसने गूगल इंडिया के मामले में की थी, जब गूगल पर अपने दबदबे के दुरुपयोग के आरोप लगे थे। CCI की जांच शाखा की एक सप्लीमेंट्री जांच रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि ऐपल ने भारत में iOS के लिए ऐप स्टोर के बाजार में अपने दबदबे का उपयोग करते हुए कंप्टीशन एक्ट की धारा 3(4) और धारा 4 का उल्लंघन किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐपल ने ऐप डेवलपर्स के साथ एंटी-कंप्टीटिव एग्रीमेंट किए हैं, जो बाजार में प्रतिस्पर्धा पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। जांच रिपोर्ट 150 से अधिक पन्नों की है और इसमें ऐपल के इन-ऐप परचेज (IAP) मैनडेट पर सवाल उठाए गए हैं।
जांच में पाया गया कि ऐपल का ऐप स्टोर ऐप डेवलपर्स के लिए एक ऐसा बिजनस पार्टनर है जिसकी अनुचित शर्तों मानने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है। इसमें ऐपल के स्वामित्व वाली बिलिंग और पेमेंट सिस्टम का अनिवार्य उपयोग शामिल है। जांच के दौरान ऐपल ने अपनी सफाई में कहा कि IAP वह तरीका है जिससे कंपनी अपना कमीशन कलेक्ट करती है। इसके बदले में उसे ऐप स्टोर को यूजर्स और डेवलपर्स के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने में मदद मिलती है लेकिन सूत्रों ने कहा कि ऐपल अपने डेवलपर प्रोग्राम लाइसेंस एग्रीमेंट (DPLA) और ऐपस्टोर रिव्यू गाइडलाइन्स के जरिए कई कठोर शर्तें लगाता है।
एंटी-स्टीयरिंग प्रावधान ऐप डेवलपर्स को ऐप के भीतर वैकल्पिक खरीद विधियों के बारे में कम्युनिकेट करने से रोकते हैं। इसलिए किसी भी तीसरे पक्ष के भुगतान प्रोसेसर को iOS डेवाइसेज पर डिजिटल सामग्री के लिए सेवाएं प्रदान करने की अनुमति नहीं है।