The Journalist Post : ऑपरेशन अमृतपाल के दौरान पंजाब पुलिस ने उसके साथियों पर एक्शन लिया। 207 लोगों को अब तक हिरासत में लिया गया है। वहीं पांच लोगों को असम की डिब्रूगढ़ केंद्रीय जेल भेजा गया है। इन सभी पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाया गया है। मगर पंजाब में सवाल उठा रहा था कि इन्हें असम की डिब्रूगढ़ जेल क्यों भेजा जा रहा है? अब खुफिया रिपोर्ट से इसके पीछे की वजह का खुलासा हो गया है।
दरअसल, केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने पंजाब पुलिस को एक अहम इनपुट दिया था। इनपुट के मुताबिक अगर इन्हें पंजाब में रखा जाता है तो जेल ब्रेक कांड हो सकता था। खुफिया रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि अजनाला जैसी घटना को दोबारा भी अंजाम दिया जा सकता है। यही वजह है कि मुख्य पांच आरोपियों को डिब्रूगढ़ जेल भेजा गया है। बता दें कि 23 फरवरी को अमृतसर के अजनाला पुलिस थाने पर अमृतपाल के हजारों समर्थकों ने धारदार हथियारों के साथ हमला कर दिया था। इस हमले में छह पुलिसकर्मी घायल हुए थे। इसके बाद पुलिस को अमृतपाल के एक साथी को छोड़ना पड़ा था।
पंजाब पुलिस के साथ हुई बैठक
खुफिया एजेंसियों के एक सूत्र ने इस बात की पुष्टि की है कि पंजाब पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक हुई। इसमें रासुका के तहत गिरफ्तार आरोपियों को पंजाब से बाहर भेजने का सुझाव दिया गया। सुरक्षा कारणों से ही अमृतपाल के साथियों को डिब्रूगढ़ जेल भेजा गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा कि अगर इन लोगों को पंजाब में रखा जाता तो इन्हें जेल ब्रेक में शामिल भी किया जा सकता था। वहीं यह जेलों में दूसरे कैदियों को कट्टरपंथी बना आनंदपुर खालसा फोर्स से जोड़ सकते थे और जेल से अपना आपराधिक साम्राज्य भी चलाते रहते।
इस वजह से लगा रासुका
खुफिया रिपोर्ट में रासुका लगाने की वजह भी बताई गई है। कहा गया है कि ये सभी युवाओं का हिंसा के लिए इस्तेमाल कर रहे थे। वहीं आनंदपुर खालसा फोर्स के नाम से अपनी फौज बना बंदूक संस्कृति को बढ़ावा दे रहे थे। ये राष्ट्रीय अखंडता को खतरा थे, क्योंकि खुला कहते थे कि वह राज्य पर विश्वास नहीं रखते हैं। खुले आम असलहों का प्रदर्शन कर पंजाब सरकार के आदेश का उल्लंघन भी कर रहे थे। तथाकथित नशा मुक्ति केंद्र में युवाओं के साथ मारपीट करते थे। आरोपियों के सिख फॉर जस्टिस से भी लिंक है।