चंडीगढ़ (TJP):- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पड़ोसी देश बांग्लादेश को वित्तीय मामले में उच्च जोखिम की श्रेणी में रखा है। इसके चलते पंजाब के बड़े निर्यातकों में हड़कंप की स्थिति है। हालांकि आरबीआई ने देश से निर्यात को लेकर किसी तरह की रोक नहीं लगाई है लेकिन यूएस डॉलर समेत अन्य विदेशी मुद्रा में लेनदेन पर प्रतिबंध लगा दिया है। बाकायदा सरकारी बैंकों को इस बाबत सर्कुलर जारी कर एहतियात बरतने को कहा गया है। इसके चलते पंजाब खासकर लुधियाना के बड़े कारोबारी अपने विदेशी कारोबार को लेकर चिंतित हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक बांग्लादेश की दिन-प्रतिदिन बिगड़ती वित्तीय स्थिति को देख आरबीआई ने यह कदम उठाया है। लुधियाना से हर वर्ष हजारों करोड़ रुपये का धागा और कपड़ा बांग्लादेश को निर्यात होता है। सूबे में सरकारी बैंकों द्वारा जारी इस अलर्ट के बाद कॉटन यार्न का निर्यात करने वाले कारोबारियों में न केवल निर्यात को लेकर चिंता है, बल्कि भविष्य में देश के साथ कारोबार को लेकर भी कारोबारी पसोपेश में हैं। जानकारी के अनुसार एक राष्ट्रीयकृत बैंक द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि बैंक की शाखाएं बांग्लादेश पर यूएस डॉलर या किसी अन्य विदेशी मुद्रा एक्सपोजर को न मानने के लिए कहें। लुधियाना से उद्योग और अन्य सामग्री की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए रेलवे ने बीते वर्ष अंबाला से बांग्लादेश के बेनापोल शहर के लिए एक विशेष पार्सल ट्रेन सेवा भी शुरू की थी।
उधर, परिधान प्रौद्योगिकी और सामान्य सुविधा केंद्र (एटीएफसी) के अध्यक्ष विनोद थापर ने बताया कि बांग्लादेश में आर्थिक स्थिति और विदेशी मुद्रा की कमी को देख एक राष्ट्रीयकृत बैंक के सर्कुलर के अनुसार यूएस डॉलर या अगले निर्देश तक बांग्लादेश से कारोबार को लेकर अन्य विदेशी मुद्रा के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है। इससे पंजाब का निर्यात भी प्रभावित हो सकता है। संघ के सभी सदस्यों को बांग्लादेश के साथ कोई भी नया व्यापार सौदा करते समय पूरी सावधानी बरतने की सलाह जारी की है। वहीं, निटवेयर और अपैरल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुदर्शन जैन ने बताया कि पिछले कुछ महीनों के दौरान बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट आई है। इसे ध्यान में रखते हुए बैंकों ने यूएस डॉलर या किसी अन्य विदेशी मुद्रा में आईएनआर को छोड़कर एक्सपोजर नहीं लेने का एहतियाती कदम उठाया है। जाहिर तौर पर किसी भी देश में विदेशी मुद्रा भंडार कम होने पर देश को भोजन, ईंधन आदि जैसी आवश्यक वस्तुओं के भुगतान के लिए विदेशी मुद्रा की जरूरत पड़ती है। ऐसे में कपड़े जैसे सेकेंडरी इस्तेमाल की चीजों के लिए वित्तीय लेन-देन जोखिम भरा हो सकता है।