The journalist post जालंधर में अवैध इमारतों का निर्माण जोरों पर हैं। यहां होने जा रहे लोकसभा उपचुनाव को लेकर अवैध काम करने वालों ने धंधा और तेज कर दिया है। अधिकारी चुनाव में व्यस्त हैं जबकि नायायज काम करने वाले सक्रिय। एसा ही एक मामला सामने आया है जहा पर चैन फैक्ट्री हुआ करती थी। हां पर 2 दुकाने एक और 9 दुकाने एक अभी यहा पर 2 दुकाने बन कर तैयार हो गई है और जब की जिन 9 दुकानों का पहले सीलिंग का आर्डर निकला था वह सील हो गई थी पर सभी नियमों को ताक पर रखकर उनकी सील दोबारा खोल दी गई है जबकि नियमों के अनुसार कम से कम 60 फुट का रोड चाहिए पर वहां पर 25 फुट से ज्यादा रोड नहीं है यह निगम की अनदेखी है जहां पर इनको डिमोलिश करना चाहिए था वहां पर इन दुकानों की सील खोल दी गई है और जिन दो दुकानों वाली जगह को डिमोलिश का चालान निकला था वहा पर दुकानें बनकर तैयार हो गई है इसके चालान नंबर की कॉपी साथ में अटैच की गई है निगम के अधिकारियों को इसकी सूचना है। लेकिन न तो यह काम रुक पाया है और न ही किसी अधिकारी ने यहां जाना जरूरी समझा। नतीजा यह है कि इमारत एक मंजिल से दो मंजिल बन गई वो भी सबकी आंखों के सामने। लापरवाही का इससे बड़ा उदाहरण भला और क्या हो सकता है।
इमारत को गिराने के दिए गए थे आदेश लेकिन गिरने की जगह बनती रही
नगर निगम के तत्कालीन अधिकारी को इसकी सूचना दी गई थी। तब उनका कहना था कि यहां 9 दुकानों पर सीलिंग की कार्रवाई की गई है लेकिन यह उनके कार्यकाल में नहीं बनी हैं। उन्होंने बिल्डिंग मालिकों को नोटिस निकाले थे। इनको गिराने का निर्देश दे दिया है। इसके लिए सीनियर अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है और इमारत को गिराने के लिए कहा है।
सेटिंग का अंदेशा, अधिकारियों को भी पता फिर भी कार्रवाई नहीं
जूनियर अधिकारी ने जब अपने सीनियर को अवैध निर्माण की सूचना दी है तब भी कार्रवाई नहीं होना कहीं न कहीं मिलीभगत का शक पैदा करता है। लोगों का कहना कि अवैध निर्माण करने वालों की ऊपर तक सेटिंग रहती है। आप जितनी मर्जी शिकायत कर लें आसानी से कार्रवाई नहीं होती। राजनीति का हिस्सा न हो तब जाकर कार्रवाई होती है।