अमृतसर (TJP)- विजिलेंस ब्यूरो ने करीब सवा साल पहले सरकारी बसों का टाइम निजी बस संचालकों को बेचकर भ्रष्टाचार करने के मामले में पंजाब रोडवेज के दो सेवानिवृत्त इंस्पेक्टरों को गिरफ्तार किया है। दोनों से पूछताछ कर उन निजी बस संचालकों को भी जांच के दायरे में लाया जाएगा जो मिनटों की खरीद-फरोख्त करते थे। अमर उजाला ने इस पूरे खेल का भंडाफोड़ किया था। ब्यूरो के डीएसपी निर्मल सिंह के नेतृत्व में टीम ने एक आरोपी को घर में दबिश देकर गिरफ्तार किया, जबकि दूसरे को उसका अपना भाई ही आत्मसमर्पण करवाने के लिए शनिवार को ब्यूरो ऑफिस में लेकर पहुंचा था। पिछले साल पंजाब रोडवेज के अधिकारियों की ओर से सरकारी बसों का टाइम बेचने का मामला सामने आया था। इसमें आरोपी सरकारी बसों को तय समय से पहले ही बस स्टैंड से बाहर निकाल देते थे और उक्त समय के बीच आने वाली सवारियां निजी बसों में सफर करने के लिए मजबूर होती थीं। इसके लिए रोडवेज के दो अधिकारियों की निजी बस संचालकों के साथ मिलीभगत थी। सरकारी बस का समय बेचते हुए उन्हें तय समय से पहले बस अड्डे से बाहर निकालने के लिए प्रति मिनट वसूली की जाती थी।
विजिलेंस ब्यूरो ने मामले की जांच के बाद अमृतसर रोडवेज-2 के तत्कालीन सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर राज कुमार उर्फ राजू निवासी गांव फुलड़ा, थाना नंगल भूर, तहसील और जिला पठानकोट और जालंधर डीपू-1 के तत्कालीन इंस्पेक्टर तरसेम सिंह निवासी चक्क खेलां, जिला होशियारपुर के खिलाफ 30 अप्रैल 2021 को पीसी एक्ट (संशोधित) 2018 की धारा 7,7-ए और आइपीसी की धारा 120-बी के तहत केस दर्ज किया था। तभी से रोडवेज के यह दोनों अधिकारी फरार चल रहे थे। मंत्री लालजीत भुल्लर ने रोडवेज अधिकारियों को फटकार लगाई थी कि यह मिनट बेचने वाला धंधा बंद किया जाए। इसका सारा मुनाफा निजी बस वालों को मिल रहा है। दिलचस्प बात है कि ट्रांसपोर्ट की अधिकतर कंपनियों पर बादल परिवार का कब्जा है, जिस कारण उनका कारोबार मुनाफे में जा रहा था। मंत्री की फटकार के बावजूद अभी भी चोरी-छिपे धंधा चल रहा है।
खुलेआम बंद हुआ धंधा, अब पर्ची पर हिसाब
40 रुपये मिनट बेचने का धंधा अब खुलेआम बंद होना शुरू हो गया है। सरकारी बस अड्डों पर अभी भी पर्ची पर पैसे लिखकर हिसाब लिखा जा रहा है कि किस निजी बस संचालक से कितने मिनट के कितने पैसे लिए हैं। बस अड्डो पर चेकिंग भी चल रही है और विजिलेंस की टीमों के मुलाजिम भी घूम रहे हैं।
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