टोरंटो: कनाडा में भारतीय समुदाय निशाने पर है और सिख समुदाय पर नस्लीय हमले बढ़ते जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आप्रवासन के खिलाफ बढ़ती नकारात्मक भावना ने भारतीय और सिख समुदाय को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। हाल ही में एक सर्वेक्षण में 60% लोगों ने कहा है कि कनाडा में बहुत अधिक आप्रवासी हैं, जो फरवरी की तुलना में 10% अधिक है। मार्च 2019 में यह आंकड़ा 35% था, जब 49% लोगों ने कहा था कि आप्रवासियों की संख्या ठीक है। अब यह संख्या घटकर 28% रह गई है। हाल के महीनों में ओंटारियो प्रांत में सिख समुदाय के खिलाफ कई शारीरिक हमले हुए हैं। 25 जुलाई को पीटर्सबोरो में एक व्यक्ति पर थूका गया और उसकी पगड़ी को खींच लिया गया, जिसे ‘हेट क्राइम’ के रूप में दर्ज किया गया। ऑनलाइन हमलों में भी वृद्धि देखी गई है, जिसमें सिखों पर खुले में शौच करने के झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। ये तस्वीरें और टिप्पणियाँ सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।इस बढ़ती नकारात्मक भावना की एक मुख्य वजह कनाडा में जीवन यापन की लागत, विशेषकर आवास की कीमतों में वृद्धि है, जिसे प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो की सरकार पूरी तरह से संभाल नहीं पा रही है।
शिंदर पुरेवाल, जो राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर हैं, के अनुसार, अब लोग यह मानते हैं कि आप्रवासी, खासकर अंतर्राष्ट्रीय छात्र, बहुत पैसा ला रहे हैं और इसी वजह से कीमतें बढ़ रही हैं। डॉ. सत्विंदर कौर बैंस, दक्षिण एशियाई अध्ययन संस्थान की निदेशक, ने कहा कि हम जानबूझकर गलत सूचनाओं का सामना कर रहे हैं। सिख और अन्य आप्रवासी समुदायों पर नस्लीय दुष्प्रचार बढ़ रहा है और इस पर उचित प्रतिक्रिया की कमी है। राजनीतिक टिप्पणीकार स्पेंसर फर्नांडो ने इसे “गलत दिशा में गुस्सा” बताया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग अब भारतीय-कनाडाई समुदाय को शत्रुतापूर्ण तरीके से निशाना बना रहे हैं, जो अनियंत्रित आप्रवासन की आलोचना से कहीं आगे की बात है। इस समय कनाडा की आप्रवासी समर्थक छवि बदल रही है, और यह स्थिति भविष्य के लिए चिंता का विषय बन सकती है।