चंडीगढ़: पंजाब में 2 मई से सरकारी कार्यालयों का समय बदलने के साथ ही आम आदमी पार्टी की प्रदेश सरकार ने अपनी तरह का ऐसा तुजुर्बा किया है, जो सूबे को पैसे और बिजली की बचत करने में सहायक होगा। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रशासनिक और पावरकॉम के अधिकारियों के साथ इस बारे में कई दिन चर्चा की थी। उनका मानना था कि बिजली की आपूर्ति आगे धान के रोपाई सीजन में निर्विघ्न रहे, इसके लिए अभी से बिजली बचत की ओर ध्यान देना होगा।
मान का कहना है कि इस फैसले से रोजाना 350 मैगावाट बिजली की बचत होगी, साथ ही एक अनुमान के अनुसार सरकार का 15 जुलाई तक 40-42 करोड़ रुपए भी बचेगा। पंजाब में ज्यादातर बिजली थर्मल प्लांटों से ही बनती है। जाहिर है कार्यालयों का समय बदलने से थर्मल प्लांट में उपयोग होते कोयले की लागत में भी कमी आएगी। हालांकि रंजीत सागर डैम, भाखड़ा डैम और पौंग डैम से भी पंजाब को बिजली सप्लाई होती है मगर यह थर्मल प्लांटों की तुलना में बहुत कम है। सूबे के रोपड़ थर्मल प्लांट को रोज 14,000 टन, लहरा मोहब्बत प्लांट को 10,000 टन, नाभा थर्मल प्लांट को 14,000 टन, तलवंडी साबो प्लांट को 22,000 टन और गोइंदवाल प्लांट को 7500 टन कोयले की जरूरत रोज पड़ती है, बशर्ते ये थर्मल प्लांट पूरी क्षमता से चलें। इस कड़ी में केंद्र सरकार के आर.एस.आर. (रेल-समुद्र-रेल) के जरिये कोयले की ढुलाई के फैसले से भी पंजाब को और नुक्सान होता मगर मुख्यमंत्री इस फैसले को रुकवाने में कामयाब रहे थे।