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Interesting Facts: कार चलाने वाली दुनिया की पहली महिला के बारे में जानें… भारत में इन्होंने की थी शुरुआत

The Journalist Post: दुनिया में महिलाएं पुरुषों से किसी मामले में पीछे नहीं हैं। भारत समेत दुनिया के कई देशों में महिलाएं ट्रेन से लेकर प्लेन तक उड़ा रही हैं। लेकिन क्या जानते हैं कि दुनिया में किस महिला ने सबसे पहले कार चलाई थी? भारत में पहली बार कार चलाने वाली महिला कौन थी? आज हम आपको इन सवालों के जवाब बताएंगे।

इस भागदौड़ भरी दुनिया में महिलाएं सभी काम कर रही हैं। महिला कार भी चला रही हैं, लेकिन इसमें सबसे बड़ा योगदान बेर्था बेंज का है। बेंथा बेंज दुनिया की वह महिला है जिन्होंने सबसे पहले कार चलाई थी। उन्होंने मर्सिडीज बेंज के संस्थापक और अपने पति कार्ल बेंज की बिना अनुमति के कार चलाई थी। बेंजा ने पहली बार 106 किमी तक कार चलाया था। सबसे खास बात यह है कि इस कार में सिर्फ तीन पहिए थे। फोर्ड से बहुत पहले कार्ल बेंज ने काम करने वाली कार बना दी थी।

फोर्ड ने दुनिया की पहली और सस्ती कार को बाजार में उतारा था। यह सस्ती कार मॉडल-टी थी, लेकिन कार्ल बेंज ने पहले ही पहली कार के तौर पर पेटेंट-मोटर व्हीकल मॉडल-3 बनाई थी। हालांकि बनाने के तीन साल तक एक भी कार की बिक्री नहीं हुई। इसके बाद बेर्था ने कार्ल बेंज को सलाह दी कि नई कार को सड़क पर चलाकर दिखाया जाना चाहिए। इससे लोगों को कार के बारे में जानकारी मिलेगी और इसकी बिक्री होगी। बेर्था की इस विचार से कार्ल बेंज सहमत नहीं थे। उन्होंने सड़क पर कार को चलाकर प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं दी।

बिना मंजूरी के बेर्था ने चलाई कार

बेर्था ने अगस्त 1888 में कार को पति कार्ल बेंज और कंपनी के अधिकारियों से बिना इजाजत के सड़क पर कार को चलाया। उन्होंने इसकी क्षमता को दिखाने के लिए 106 किमी तक कार चलाई। इसके बाद वह दुनिया की कार चलाने वाली पहली महिला बन गईं।वह मैनहेम से फोर्जियम तक कार चलाकर गईं। उस समय ऐसा गैर कानूनी था। बेर्था ही इतनी दूर तक कार चलाने वाली दुनिया की पहली महिला भी बनीं। इस दौरान बेर्था ने अपनी हेड पिन से फ्यूल लाइन को साफ किया और पानी का इस्तेमाल कर इंजन को ठंडा किया।

कार चलाने वाली भारत की पहली महिला

भारत में आज भी ज्यादतर महिलाएं कार नहीं चलाती हैं। लेकिन इसके बावजूद बड़ी संख्या में रोजमर्रा के जीवन में महिलाएं कार का इस्तेमाल करती हैं। भारत में सबसे पहले कार चलाने वाली महिला टाटा परिवार से थीं। पहली बार कार चलाने वाली सुजैन टाटा फ्रांसीसी थीं और उनकी शादी रतनजी दादाभाई टाटा से हुई थी। उन्होंने साल 1905 में पहली बार कार चलाई थी। इसके बाद वह कार चलाने वाली भारत की पहली महिला बन गईं। शादी के बाद उन्होंने पारसी धर्म अपना लिया और सुजैन से अपना नाम बदलकर सोओनी टाटा कर लिया।

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