The Journalist Post : देश के सबसे बड़े रिटायरमेंट फंड ईपीएफओ ने अडानी ग्रुप में निवेश करना जारी रखा हुआ है. जिसमें अडानी इंटरप्राइजेज और अडानी पोर्ट दोनों शामिल हैं. यह निवेश सितंबर तक जारी रह सकता है.
हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के बाद कई बड़े निवेशकों ने अडानी ग्रुप में निवेश करने करने पर दस बार सोच रहे हैं. करीब 40 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने वाली एलआईसी तक अपने निवेश के नियमों में बदलाव करने की योजना बना रही है ताकि अडानी-हिंडनबर्ग जैसे एपिसोड में उन्हें ज्यादा नुकसान ना हो. देश के सबसे बड़े रिटायरमेंट फंड ईपीएफओ ने अडानी ग्रुप में निवेश करना जारी रखा हुआ है. जिसमें अडानी इंटरप्राइजेज और अडानी पोर्ट दोनों शामिल हैं. यह निवेश सितंबर तक जारी रह सकता है. वैसे ईपीएफ की दो दिनों की मीटिंग चल रही है. जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है.
सवाल ये है कि बीते दो महीने से कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिल चुकी है. ऐसे में देश के करीब 28 करोड़ लोगों के पेंशन का पैसा दांव पर क्यों लगाया जा रहा है? क्या इस बारे में ईपीएफओ ट्रस्ट को कोई जानकारी नहीं थी? क्या ट्रस्ट इस मामले में कोई कदम उठा सकता है? अब तक अडानी ग्रुप के शेयरों में कितनी गिरावट देखने को मिल चुकी है? आइए इन सब सवालों का जवाब तलाशने का प्रयास करते हैं.
किस तरह के उठ रहे हैं सवाल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त नीलम शमी राव से अडानी ग्रुप से संबंधित सवाल पूछे गए थे, लेकिन उनके कोई जवाब सामने नहीं आए हैं. इन सवालों में सबसे अहम सवाल यह है कि ईपीएफओ ने अडानी ग्रुप के शेयरों में कितना निवेश किया है. क्या इसके फंड मैनेजर्स को उन शेयरों की सेफ्टी के लिए नए निवेश से बचने के निर्देश दिए गए थे? क्या निफ्टी 50 से जुड़े इंवेस्टमेंट में कोई बदलाव किया जा रहा है? ईपीएफओ ने मार्च 2022 तक ईटीएफ में 1.57 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था. वित्त वर्ष 2022-23 में ईपीएफ मेंबर्स की ओर से भेजे गए अनुमानित 2.54 लाख करोड़ रुपये के नए योगदान में से 38,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है.
ट्रस्ट है अनजान
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ट्रस्ट को इस बारे में जानकारी ही नहीं थी कि आम लोगों की पेंशन का पैसा डूबते अडानी ग्रुप के शेयरों में खपाया जा रहा है. सोमवार और मंगलवार को केंद्रीय केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में बोर्ड की दो दिन की बैठक होगी, जिसमें इस इश्यू को पुरजोर तरीके से उठाया जा सकता है. यह मीटिंग मुख्य रूप से ईपीएफ ब्याज दर को लेकर हो रही है. जिसमें तय किया जाएगा कि इस साल मेंबर्स को कितना ब्याज दिया जाए. मौजूदा समय में ईपीएफ की ब्याज दर 45त साल के लोअर लेवल पर हैं. जिन्हें 8.1 फीसदी पर कर दिया गया था.
अडानी ग्रुप के शेयरों को कितना हो चुका है नुकसान
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट 24 जनवरी को सामने आई थी. उसके बाद से अडानी ग्रुप के शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिल चुकी है. दो महीने के बाद भी ग्रुप कंपनियों के जिस तरह से रिकवर होने चाहिए थे, नहीं हो सके हैं. अडानी इंटरप्राइजेज अभी 24 जनवरी के बाद से 50 फीसदी डाउन है. अडानी ट्रांसमिशन भी 60 फीसदी से ज्यादा टूटा हुआ है. अडानी टोटन के शेयरों मतें सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली है. कंपनी का शेयर 24 तारीख से 75 फीसदी नीचे आ चुका है. अडानी ग्रीन एनर्जी भी करीब 50 फीसदी ही नीचे है.
एलआईसी और बैंकों ने भी किया हुआ है निवेश
सिर्फ ईपीएफओ की ओर से ही नहीं बल्कि देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी ने भी अडानी ग्रुप में मोटर निवेश किया हुआ है. जिसकी वैल्यू 4 अरब डॉलर से ज्यादा है. आंकड़ों के अनुसार एलआईसी ने अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया था. वहीं 6,182 करोड़ रुपये का लोन दिया हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार देश के बैंकों ने अडानी ग्रुप पर करीब 80 हजार करोड़ रुपये लगाया हुआ है, जिसमें 27 हजार रुपये से ज्यादा एसबअीआई का है. वैसे अडानी ग्रुप ने इसमें कुछ कर्ज उतारा भी है.