अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कत न हो, कोई खतरा उनके समीप न आ सके, इसके लिए देश का सबसे बड़ा केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात रहता है। भले ही दूसरे सरकारी कर्मियों को रोजाना आठ घंटे की ड्यूटी करनी होती है, लेकिन सीआरपीएफ जवान, अमरनाथ यात्रा के दौरान 12 से 14 घंटे तक तैनात रहते हैं। उसके बाद भी आराम नहीं मिलता। कुछ जवानों को रात में कैंप सिक्योरिटी की ड्यूटी भी देनी पड़ती है। यात्रा के चलते उन्हें छुट्टी भी नहीं मिलती। ड्यूटी पर फोन रखना मना है। अगर जवान को अपने परिवार से बात करनी है तो वह उसके कैंप में पहुंचने के बाद ही संभव हो पाती है।
जवान कर रहे इन चुनौतियों का सामना
अमरनाथ यात्रा में तैनात बल के एक अधिकारी बताते हैं, यहां पर सबसे ज्यादा तैनाती सीआरपीएफ की है। जवानों को गंभीर तौर पर मानसिक दबाव और कठिन शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कश्मीर घाटी में आए दिन हो रही आतंकी मुठभेड़ में सीआरपीएफ जवान डट कर मुकाबला करते हैं। रोड ओपनिंग पार्टी के तौर पर भी सीआरपीएफ के जवान सदैव मुस्तैद रहते हैं। अमरनाथ यात्रा से पहले शुक्रवार को ऑफ मिलता था, लेकिन अब वह भी संभव नहीं हो पाता। किसी कारणवश यात्रा सस्पेंड हो जाए तो ही जवानों को थोड़ा बहुत आराम मिलता है। कई बार तो स्थिति ऐसी हो जाती है कि जवान को अपनी वर्दी धोने का समय तक नहीं लगता। एक ही वर्दी कई दिन पहननी पड़ती है। धूल मिट्टी और बरसात में वर्दी खराब हो जाती है। जिन नाइट ड्यूटी वाले जवानों को एक दिन छोड़कर आराम मिलता है, वे ही अपनी दिनचर्या से जुड़े कुछ काम निपटा पाते हैं।
सुबह छह बजे कैंप से निकल जाते हैं जवान
अगर एक टोली में पचास जवान हैं, तो उनमें से बीस जवानों को नाइट शिफ्ट ड्यूटी देनी पड़ती है। सुबह छह बजे, जवान अपना हथियार एवं संचार उपकरण लेकर तैयार हो जाता है। इसके बाद वह शाम को छह से आठ बजे तक ही वापस कैंप में लौट पाता है। ड्यूटी पर जवानों को मोबाइल फोन ले जाने की मनाही है। एक तो जवान को उसकी कठोर ड्यूटी थका देती है और दूसरा वह अपने घर से भी दूर रहता है। अधिकारी के मुताबिक वर्तमान समय में जवान, मानसिक दबाब से गुजर रहे हैं। अमरनाथ गुफा की यात्रा के लिए इस समय देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं का आना-जाना हो रहा है। यात्रा के रूट और यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ संभालती है। हालांकि यात्रा के विभिन्न स्थलों पर दूसरे सुरक्षा बल भी तैनात रहते हैं। कश्मीर में लगातार हो रही आतंकी वारदातों के बीच अमरनाथ के श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करना, अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती है।
300 किमी लंबे रूट की सुरक्षा करते हैं जवान
साल 2017 के दौरान अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं पर हुए आतंकवादी हमले के बाद अब इस यात्रा को सीआरपीएफ की चाकचौबंद निगरानी में कराया जाता है। श्रद्धालुओं के काफिलों को जम्मू बेस कैंप से बालटाल/पहलगाम तक के लगभग 300 किमी लंबे सफर में सीआरपीएफ निगरानी में लाया जाता है। सुबह से शाम तक इस यात्रा रूट को सुरक्षित बनाए रखने के लिए जवानों को तैनात किया जाता है। ये जवान अल सुबह ही अपने हथियार एवं गोला बारूद व दूसरे उपकरणों को लेकर कैंप से निकलते हैं। 12 घंटे से अधिक समय तक जवानों को अपने साजो सामान के वजन के साथ खड़े रहना होता है। तैनाती की लंबी अवधि के कारण इन जवानों पर न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक दबाव भी झेलना होता है। इसके बावजूद जवान अपनी ड्यूटी पर टस से मस नहीं होते।