सिंहासन योग का अभ्यास करने से महिलाओं को ज्यादा फायदा हेाता है। यह मासिक धर्म संबंधी विकार को दूर करता है। आखों की कमजोरी दूर होती है। नसों में होने वाली परेशानी खत्म होती है। इस अभ्यास को बच्चों से लेकर युवा व बुजुर्ग अभ्यास कर सकते हैं। आंखों की रोशनी तेज होगी। इसके अलावा वाणी से संबंधित विकार भी दूर होता है। आवाज में मधुरता आती है। चेहरे की झुर्रियां दूर होती है।
योग विशेषज्ञों का कहना है कि सिंहासन के अभ्यास करने से बहुत सारी गले की परेशानी से बच सकते हैं। पेट की पेशियों के लिए यह एक अच्छा व्यायाम है। इसके नियमित अभ्यास से पेट के बहुत सारे रोगों से निजात दिला सकते हैं। इससे दांत, जीभ, जबड़े और गले के रोगों से मुक्ति मिलती है
यह रक्त संचार को सुधारता है। इससे शरीर में आक्सीजन व चेहरे में रक्त संचार सही ढंग से होता है। सिंहासन से अस्थमा में आराम मिलता है। गले, नाक, कान और मुंह की बीमारियों को दूर करने के लिए यह एक श्रेष्ठ आसन है। मासिक धर्म संबंधी विकार को दूर करता है।
इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डी पुष्ट होती है और इससे संबंधित परेशानियों से बचाने में मदद करता है। दांत, जीभ, जबड़े और गले के रोगों से मुक्ति मिलती है। अमाशय, छोटी आंत, बड़ी आंत और गुर्दे की सफाई के लिए यह लाभदायक है। योग विशेषज्ञों ने कहा कि सिंहासन करने के लिए सबसे पहले अपने पैरों के पंजों को आपस में मिलाकर उस पर बैठ जाएं।
दोनों एड़ियों को मोड़कर इस प्रकार रखें कि दाईं एड़ी बाईं ओर तथा बाईं एड़ी दाईं ओर हो और ऊपर की ओर मोड़ लें। पिंडली की हड्डी का आगे के भाग जमीन पर टिकाएं। हाथों को भी जमीन पर रखें। मुंह खुला रखे और जितना सम्भव हो सके जीभ को बाहर निकालिए। आंखों को पूरी तरह खोलकर आसमान में देखिए।नाक से श्वास लीजिए। सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए गले से स्पष्ट और स्थिर आवाज निकालिए। इस तरह से इसको 10 बार कर सकते हैं। अगर कोई परेशानी हो तो इसको ज्यदा बार कर सकते हैं।