नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों की सीमा रेखा खींच दी है। पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन को छोड़ बाकी सभी सेवाएं चुनी हुई सरकार के अधीन होंगी। मतलब यह कि इन तीन विषयों को छोड़कर बाकी सभी मामलों में एलजी को दिल्ली सरकार की सुननी पड़ेगी। अरविंद केजरीवाल सरकार को महत्वपूर्ण अधिकार अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का मिला है। अभी तक दिल्ली में ऐसे मुद्दों पर एलजी, चीफ सेक्रेटरी और सर्विसेज विभाग के सेक्रटरी फैसला करते थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने के 6 घंटे के अंदर ही पहला तबादला हो गया। सर्विसेज विभाग के सेक्रटरी दिल्ली सरकार के सर्विसेज विभाग के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने विभाग के सचिव आशीष माधवराव मोरे के तबादले का आदेश जारी कर दिया। उनकी जगह 1995 बैच के आईएएस अधिकारी अनिल कुमार सिंह को सर्विसेज विभाग का नया सचिव नियुक्त किया गया है। दिल्ली सरकार ने SC के फैसले का मतलब समझा कि उसे IAS समेत सभी कैडर के अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार मिल गया है। हालांकि यह बात 100 प्रतिशत सही नहीं।
यहां नहीं चलेगी दिल्ली सरकार की पावर
दिल्ली में कौन सा आईएएस अधिकारी तैनात होगा और कितने समय तक, यह अब भी केंद्र सरकार तय करेगी। द इंडियन एक्सप्रेस ने फैसले की बारीकियां समझाते हुए लिखा है कि गृह विभाग को लेकर भी ‘लाल लकीर’ खींच दी गई है। इसके अलावा डीडीए उप-चेयरपर्सन, एमसीडी कमिश्नर, NDMC कमिश्नर जैसे पदों पर नियुक्ति भी केंद्र के अधिकार-क्षेत्र में आएगी। एक ब्यूरोक्रेट के हवाले से अखबार ने कहा कि फैसले में साफ लिखा है कि लैंड और लॉ एंड ऑर्डर चुनी हुई सरकार के अधिकार-क्षेत्र से बाहर के विषय हैं। ऐसे में गृह विभाग के सचिव (एलजी के जरिए दिल्ली पुलिस को संभालते हैं) और डीडीए वीसी (DDA के चेयरमैन एलजी होते हैं) एलजी के मातहत आएंगे, और उनकी नियुक्ति केंद्र सरकार के विवेक पर निर्भर करेगी। एक और मसला चीफ सेक्रटरी की नियुक्ति का भी है। दिल्ली के सबसे सीनियर नौकरशाह की नियुक्ति को लेकर 2015 में विवाद हो चुका है। सीएम और एलजी के बीच पुल का काम करने वाले चीफ सेक्रटरी की नियुक्ति केंद्र सरकार करती रहेगी। मुख्यमंत्री से विचार-विमर्श केवल औपचारिकता भर होती है। एक सीनियर ब्यूरोक्रेट के हवाले से एक्सप्रेस ने कहा कि SC के फैसले का सीएस की पोस्ट पर कोई असर नहीं दिखता।
एंटी करप्शन ब्रांच किसके हाथ में?
विजिलेंस विभाग पर तो दिल्ली सरकार का नियंत्रण रहेगा लेकिन एंटी करप्शन ब्रांच को लेकर सवाल अभी भी कायम है। एसीबी के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के फैसले का एंटी करप्शन ब्रांच पर कोई असर नहीं होगा। वह पहले की तरह ही उपराज्यपाल को ही रिपोर्ट करेगी।