The Journalist Post : पंजाब के जालंधर लोकसभा सीट पर 10 मई को उपचुनाव होगा. आज चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है. सीट पर कांग्रेस, आप, शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर है. इस सीट पर चारों पार्टियों के बीच मुकाबला कांटे की है. खासतौर से कांग्रेस और आप के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल है. ऐसा इसलिए कि कांग्रेस इस सीट पर पिछले चार बार से लगातार चुनाव जीतती आई हैं. वहीं पंजाब में आप का सत्ताधारी पार्टी होने के नाते भगवंत सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर है. जहां तक शिरोमणि अकाली दल की बात है तो उसके लिए यह सीट हमेशा से चुनौती साबित हुई और काफी जद्दोजहद के बाद भी वो इसे अभी तक कांग्रेस से छीन नहीं पाई.
यही वजह है कि इस सीट पर चारों दलों के शीर्ष नेता चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं. कांग्रेस प्रत्याशी करमजीत को जिताने के लिए पूर्व सीएम चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू डेरा गली-गली मतदाताओं से मुलाकात कर खाक छान रहे हैं तो सीएम अरविंत केजरीवाल आप प्रत्याशी सुशील रिंकू को जिताने के लिए पिछले तिन दिन से जालंधर में डेरा डाले हुए हैं. इतना ही नहीं, सीएम भगवंत मान भी लगातार जालंधर पहुंचकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं. वहीं शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी सुखविंदर को जिताने के लिए पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल दिन-रात जालंधर में एक किए हुए हैं. बीजेपी के कई केंद्रीय मंत्री जालंधर में डेरा डालकर बैठे हैं. केंद्रीय अनुराग ठाकुर पार्टी प्रत्याशी इकबाल सिंह को जिताने के लिए शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मदाताओं को प्रभावित करने के काम में जुटे हैं.
कांग्रेस की परंपरागत सीट
जालंधर लोकसभा क्षेत्र में नौ हलकों यानी विधानसभा क्षेत्र में बंटा है. इन हलकों में हलका वेस्ट, सेंट्रल, नॉर्थ और कैंट शामिल हैं. वहीं देहाती हलकों में नकोदर, शाहकोट, फिल्लौर, करतारपुर, आदमपुर शामिल हैं. इनमें पांच ग्रामीण क्षेत्रों के तो चार शहरी क्षेत्र में आते हैं. ग्रामीण क्षेत्र में मुख्य मुकाबला कांग्रेस, आप और शिरोमणि अकाली दल के बीच है. जबकि शहरी हलकों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटें की टक्कर है. तय है इस सीट पर बीजेपी जिसका वोट काटेगी उसकी हार तय है. जहां तक बीजेपी की जीत की बात है तो उसकी उम्मीद बहुत कम है. इसके बावजूद बीजेपी प्रत्याशी इकबाल सिंह जीतते हैं तो उसे चौंकाने वाला परिणाम माना जाएगा. जालंधर संसदीय क्षेत्र में देश की आजादी के बाद अब तक चुनावों में 14 बार कांग्रेस, 2 बार अकाली दल और 2 बार जनता दल के खाते में गई है. पिछले चार चुनाव से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी लगातार यहां से जीत हासिल करने में सफल रहे हैं.
साल 2019 लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशी को यहां से जीत मिली थी. कांग्रेस सांसद संतोख सिंह चौधरी जनवरी में फिल्लौर विस क्षेत्र में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान निधन की वजह से ही यह सीट खाली हुई और अब इस सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं. कांग्रेस ने संतोख सिंह की पत्नी प्रोफेसर करमजीत कौर को यहां से मैदान में उतारा है.कांग्रेस की अनुसूचित जाति के साथ-साथ शहरी मतदाताओं पर भी पकड़ है. फिर कांग्रेस संतोख सिंह चौधरी का नाम और काम के साथ आप की वादाखिलाफी को भुनाने में जुटी है. वहीं आम आदमी पार्टी करप्शन मुक्त शासन और अधिकतर वादे पूरे करने का दावा कर इस सीट पर जीत हासिल करना चाहती है. बीजेपी पीएम नरेंद्र मोदी और सूबे में लॉ एंड ऑर्डर की खराब स्थिति के मुद्दे पर मैदान में है. वहीं शिअद आप सरकार द्वारा महिलाओं को एक हजार रुपए का वादा पूरा न करने और सरदार प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद सहानुभूति के नाम पर इस सीट पर जीत हासिल करने में जुटी है.
जालंधर सीट पर मुकाबला रोचक
कांग्रेस को इस सीट पर चुनावी मात देने के लिए आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस, बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल के नेताओं से संपर्क सांधा था. आप को इस मुहिम में सफलता भी मिली. उन्होंने कांग्रेस के ही वेस्ट हलके से पूर्व विधायक सुशील रिंकू को अपने खेमे में लाकर उसी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतार दिया है. यही वजह है कि इस बार जालंधर के अलग-अलग हलकों में मुख्य मुकावला भी अलग-अलग दलों के बीच है. इस सीट पर इस बार चुनावी एजेंडा विकास, लॉ एंड ऑर्डर की खराब स्थिति, महिलाओं को एक हजार रुपए देने के वादे से आप सरकार का मुकरना आदि हैं.
16,18,512 मतदाता डालेंगे वोट
जालंधर लोकसभा सीट आरक्षित सीट है. इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 16,18,512 है. इनमें एनआरआई मतदाताओं की संख्या 73, पुरुष मतदाताओं की संख्या 8,43,299, महिला मतदाताओं की संख्या 7,75,173, ट्रांसजेंडर मतदात 40, नौकरीपेशा वोटर 1,851, दिव्यांग वोटर 1,0526 और 80 साल का ज्यादा उम्र वाले वोटर 38,313 मतदाता शामिल हैं.