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हिमाचल प्रदेशः जीएसटी भुगतान न करने के 89 मामले पकड़े, इकोनॉमिक इंटेलिजेंस विंग ने की कार्रवाई, 257 करोड़ वसूले

The Journalist Post: आबकारी एवं कराधान विभाग के इकोनॉमिक इंटेलिजेंस विंग ने हिमाचल में जीएसटी भुगतान न करने वालों पर नकेल कसी है। विंग ने जीएसटी से जुड़े 89 मामले पकड़े हैं। इन मामलों की वजह से 257 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व जुटाया गया है। विभाग ने 400 कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया है और इन कर्मचारियों को धन उगाही में झोंका गया है। राजस्व वसूली लक्ष्य हासिल करने में इकोनॉमिक इंटेलिजेंस विंग की बड़ी भूमिका रही है। विभाग की यह टीम जीएसटी में धोखाधड़ी से जुड़े मामलों की पड़ताल कर रही है। विभाग के राजस्व वसूली के लक्ष्य को हासिल करने में ई-वे बिल ने भी बड़ा किरदार निभाया है। ई-वे बिल में विभाग ने बड़े स्तर पर राजस्व की चोरी पकड़ी है और सरकारी खजाने में इस राशि को पहुंचाने का काम किया है। अधिकारियों को प्रशिक्षण के बाद विभाग ने फील्ड में उतारा है और इन अधिकारियों ने समूचे साल में करीब 13 लाख वाहनों की जांच से आठ करोड़ रुपए का राजस्व जुटाया है। राजस्व में पेनल्टी और टैक्स दोनों ही शामिल हैं। जिन वाहनों की जांच की गई और जुर्माना लगाया गया, वे बिना बिल के 50 हजार से ज्यादा का भार उठाकर एक जगह से दूसरी जगह जा रहे थे। इन वाहनों को जांच के लिए रोका गया और इसके बाद विभाग की टीम ने वाहनों पर पेनल्टी और तय मानकों के अनुसार टैक्स भी लगाया। साल भर में सबसे ज्यादा ई-वे बिल अगस्त और अक्तूबर महीने में हुई है।

इन दोनों महीनों में टैक्स और पेनल्टी के माध्यम से एक-एक करोड़ रुपए की वसूली की गई है। फिलहाल आबकारी एवं कराधान विभाग ने अलग-अलग जगहों पर लगाए गए नाकों के दौरान 13 लाख वाहनों की जांच की है। यह वाहन भारी-भरकम सामान के साथ एक से दूसरी जगह जा रहे थे। इन वाहनों की जांच में ईवे बिल का बड़े पैमाने पर उल्लंघन पाया गया है। गौरतलब है कि आबकारी विभाग ने ई-वे बिल को जरूरी बना दिया है। इसके तहत 50 हजार रुपए से ज्यादा कीमत के सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता है, तो इसके लिए ईवे बिल कटवाना जरूरी होता है। इस बिल के बगैर सामान को नहीं ले जाया जा सकता है। वहीं आबकारी एवं कराधान विभाग के राज्य आयुक्त युनुस ने बताया कि 400 अधिकारियों को प्रदेश भर में प्रशिक्षण दिया गया है। इस प्रशिक्षण की वजह से 13 लाख वाहनों की जांच हो पाई है और इस जांच में आठ करोड़ रुपए के राजस्व को जुटाने में विभाग को सफलता मिली है। साथ ही विभाग के आर्थिकी गुप्तचर विंग ने 89 मामले पकड़े हैं और इन मामलों से 257 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व जुटाया गया है।

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