The Journalist Post:- पिता सुखबीर सिंह ने बताया कि उनके व उनकी पत्नी के लिए नन्ही बेटी की मृत्यु के बाद अंगदान करने का फैसला आसान नहीं था लेकिन हमने कहा कि अगर उनकी बच्ची कुछ दिनों के लिए ही इस धरती पर आई है तो हमें कोई ऐसा फैसला लेना चाहिए, जिससे मानवता का भला हो।
दुनिया को अलविदा कह चुकी देश की सबसे कम उम्र की अंग दाता अमृतसर की अबाबत कौर संधू ने 39 दिन की जिंदगी में इतिहास रच दिया। एक किशोर को अपने अंग देकर जीवन देने वाली अबाबत कौर के माता-पिता के इस फैसले की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात में तारीफ की।
अमृतसर के कृषि विकास अधिकारी सुखबीर सिंह संधू और प्रोफेसर सुप्रीत कौर से प्रधानमंत्री ने फोन पर बात भी की। पिता सुखबीर सिंह से बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आपकी बेटी किसी दूसरे को जीवन देने के लिए ही इस धरती पर आई थी और कुछ दिनों में महान काम करके अपना जीवन सफल कर गई। इसके बाद प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि अब भारतीय नागरिक देश के किसी भी राज्य में जाकर अपने अंगों का प्रत्यारोपण करवा सकते हैं। पहले इसमें काफी अड़चनें आती थीं। अबाबत कौर ने देश की सबसे कम उम्र की अंगदाता बनकर कई अंगदाताओं के लिए रास्ता खुलवा दिया। प्रधानमंत्री ने बातचीत के बाद कहा कि भारत में अंग प्रत्यारोपण के लिए डोमिसाइल की शर्त खत्म कर दी गई है।
24 दिन की उम्र में आया था स्ट्रोक
28 अक्तूबर 2022 को जन्मी अबाबत को 24 दिन की उम्र में स्ट्रोक आया था। इसके बाद उसे पीआईजी में भर्ती कराया गया। उसके दिमाग में रक्त की आपूर्ति नहीं हो रही थी। डॉक्टरों ने माता-पिता को बताया कि उनकी उम्र लंबी नहीं है। 39 दिन की उम्र में वह इस दुनिया से चली गई लेकिन माता-पिता ने अंगदान का कठिन निर्णय लिया। इस पर पीजीआई की टीम भी तैयार हो गई। पीजीआई के डॉक्टर अशीष शर्मा ने अपनी टीम के साथ दो घंटे के ऑपरेशन में किडनी ट्रांसप्लांट की। उनके साहसी निर्णय से पटियाला के 15 वर्षीय किशोर को नया जीवन मिला।
पिता बोले- आसान नहीं था फैसला
पिता सुखबीर सिंह ने बताया कि उनके व उनकी पत्नी के लिए नन्ही बेटी की मृत्यु के बाद अंगदान करने का फैसला आसान नहीं था लेकिन हमने कहा कि अगर उनकी बच्ची कुछ दिनों के लिए ही इस धरती पर आई है तो हमें कोई ऐसा फैसला लेना चाहिए, जिससे मानवता का भला हो।