जालंधर(Rajnish Sharma) – कनाडा के वैंकुवर में रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या के बाद श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के एक बड़े कांड की जांच अधर में लटक गई है। रिपुदमन सिंह मलिक व उसका साथी कनाडा में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की छपाई करते थे और उनको सॉफ्ट कॉपी की पैन ड्राइव एसजीपीसी के पास से कनाडा भेजी गई थी। यह मर्यादा के खिलाफ था, क्योंकि श्री गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाशन का अधिकार व सेवा सिर्फ एसजीपीसी के पास है। लिहाजा, यह सवाल कनाडा की जांच एजेंसियों को भी खटक रहा है कि आखिरकार एसजीपीसी का वह कौन सा नेता था, जिसने पैन ड्राइव रिपुदमन सिंह को भेजी थी। हालांकि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कनाडा में पावन स्वरूप प्रकाशित करने वाले ट्रस्ट के रिपुदमन सिंह मलिक व बलवंत सिंह पंधेर को आदेश दिए थे कि वह इस बात का स्पष्टीकरण दें कि उन्होंने पावन स्वरूप प्रकाशित करने के लिए पीडीएफ फाइल और पैन ड्राइव किससे व कहां से प्राप्त की थी? मामला गरमाने के बाद कनाडा में रिपुदमन सिंह ने तत्काल छपाई बंद कर दी और गुरु नानक सिख गुरुद्वारा सोसाइटी सरी के मुख्य सेवादार भाई हरदीप सिंह निज्जर को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रकाशन का सारा सामान जमा करवा दिया, उस सामान में पावन स्वरूप प्रकाशित करने वाली एक पीडीएफ फाइल की पेन ड्राइव भी थी। रिपुदमन सिंह मलिक व बलवंत सिंह पंधेर ने 52 स्वरूप सरी के गुरुद्वारा साहिब में जमा करवा दिए थे। बाद में दोनों ने संगत से माफी भी मांग ली थी लेकिन सिख जत्थेबंदियों व समुदाय के बीच उनके खिलाफ रोष था। यह तो साफ था कि सॉफ्ट कॉपी एसजीपी की कस्टडी से गई थी। रिपुदमन सिंह की एसजीपीसी के किन नेताओं के साथ निकटता थी, यह भी जांच का विषय था। रिपुदमन सिंह मलिक ने अब तक पेन ड्राइव के स्रोत के बारे में कुछ भी खुलासा नहीं किया था, लेकिन उन्होंने पंजाब की अपनी यात्रा के दौरान कई प्रमुख एसजीपीसी हस्तियों से मुलाकात की थी। कई एसजीपीसी के नेता भी उनके पास कनाडा गए थे और मुलाकात की थी। एसजीपीसी और सिख संगत को सवाल खटकता रहेगा कि आखिरकार किसने श्री अकाल तख्त साहिब के हुक्मनामे की उल्लंघना कर एसजीपीसी से सॉफ्ट कॉपी पैन ड्राइव के जरिये कनाडा रिपुदमन सिंह तक पहुंचाई थी?