जालंधर (रजनीश शर्मा ):- पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार आने के बाद आए दिन चर्चा में रहने वाला विजिलेंस विभाग का एक अधिकारी एक बार फिर चर्चा में है। मगर इस बार ईमानदारी से अपना काम करने के लिए नहीं, बल्कि कनाडा में बैठकर सारे पैसे इन्वैस्ट करवा रहा है। हैरानी की बात है कि सालों से चल रही इस ऑर्गेनाइज्ड करप्शन के नैक्सस पर किसी नेता या किसी बड़े अधिकारी का ध्यान नहीं गया। काली कमाई को सफेद करके करोड़ों रुपए कमाने के इस खेल पर क्या ‘आप’ सरकार ध्यान देगी? इतना ही नहीं सरकार को उक्त अधिकारी के विदेशी दौरों के बारे भी जानकारी जुटा जांच करानी चाहिए कि हर साल कितनी बार उक्त अधिकारी विदेश जाता है। विभागीय सूत्रों की मानें तो उक्त आला अधिकारी कई वर्षों से विजिलेंस विभाग में तैनात रहा है और अपना राजपाट कायम किया। इस राजपाट को कायम करने के लिए अपनी सीट और पावर का दुरुपयोग करके उसने आर.टी.ए. दफ्तर, तहसील कॉम्प्लेक्स, पुडा विभाग, इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट, ड्रग विभाग समेत निगम दफ्तरों में सैटिंग करके मुंह मीठा करना शुरू किया। सबसे अहम बात यह है कि उक्त अधिकारी अलग-अलग विभागों में अपने अलग-अलग मनी कलैक्टरों को भेजता था। करप्शन के इस खेल को आला अधिकारी ने इतना बड़ा बना लिया है कि उसने विदेश में बैठे रिश्तेदार के नाम पर एक ट्रस्ट रजिस्टर करवाया। वह उसी ट्रस्ट के नाम पर चैक लेता है और सारा पैसा विदेश में इन्वैस्ट कर रहा है। सूत्रों की मानें तो इतने सालों में इस आला अधिकारी ने करीब 100 करोड़ से ज्यादा की विदेश में प्रॉपर्टी ही बना ली है।
सूत्रों के मुताबिक उक्त आला अधिकारी सालों से प्रॉपर्टी डीलिंग का कारोबार कर रहा है। अधिकारी एक करोड़पति इन्वेस्टर के साथ मिलकर कालिया कॉलोनी के इर्द-गिर्द कई कॉलोनियां तक काट चुका है। इस काली कमाई को इन्वेस्ट कराने के पीछे एक अन्य बड़े पुलिस अधिकारी का भी हाथ है। विजिलेंस का उक्त आला अधिकारी कोई नई गाड़ी भी अगर खरीदता है तो उसकी रजिस्ट्रेशन अपने नाम पर नहीं कराता। वहीं उक्त अधिकारी के बारे यह भी चर्चा है कि आला अधिकारी ने चंडीगढ़ स्थित विजिलेंस ब्यूरो को हैड क्वार्टर में एक वॉयस रिकॉर्डिंग भेजी थी। इसमें एक जी.ओ. रैंक का अधिकारी, एक थानेदार व एक स्टैनो शामिल थे। तीनों ने मिलकर एक व्यक्ति से पैसे मांगे थे। जब शिकायत की जांच जालंधर स्थित रेंज दफ्तर में पहुंची तो उक्त अधिकारी ने अपने चहेतों का तबादला कर दिया, जबकि अगर यही कोई अन्य अधिकारी होता तो सरकारी मुलाजिम पर पर्चा हो जाता।